Saturday, August 1, 2009

हिन्दी का खोता अस्तित्व


पिछले कुछ दिनों से हमलोग संसद भवन( लोकसभा ,राज्यसभा ) में हिन्दी पर हो रही राजनीती को सुन रहे है। उनलोगों की बहस को और कुछ ऐसी घटनाओ ( कुछ दिनों पहले हमलोगों ने अख़बार में पढ़ा की हमारे देश की सबसे प्रतिष्ठित शिक्षा संसथान जवाहरलाल नेहरू विश्वविध्यालय में कुछ छात्रों को यह कह कर की " अंग्रजी नही आती तो यंहा दाखिला क्यों लेते हो ?? " कह कर नीचा दिखाया गया ) को सुन कर ऐसा लगता है की हिन्दी जो हमारी राष्ट्रीय भाषा है बस नाम की राष्ट्रीय भाषा रह गयी है । ऐसा लगता है की अंग्रजी के बढ़ते प्रभाव के कारण आज हमलोग अपने ही राष्ट्रीय भाषा हिन्दी को भूलते जा रहे है या ऐसा कहना ग़लत नही होगा की अंग्रजी के बढ़ते प्रभाव के आगे आज हिन्दी कहीं खो सी गयी है । ऐसे में मेरे मन में यह प्रशन बार -बार उठता है की क्या आज हमलोग अपनी राष्ट्रीय भाषा हिन्दी को भूलते जा रहे है ?? जहां कंही भी देखो स्कूल , कॉलेज बैंक सरकारी कार्यालय हर जगह अंग्रजी का प्रचलन बढ़ता जा रहा है या ऐसा कहें की अंग्रजी का एकाधिकार होता जा रहा है । कभी -कभी तो ऐसा लगता है की हमारी राष्ट्रीय भाषा हिन्दी नही अंग्रजी है । कभी- कभी तो मई सोचता हूँ की अगर मेरे वस में होता तो मै हिन्दी की जगह अंग्रजी को राष्ट्रीय भाषा बना देता क्योंकि क्या करना ऐसी राष्ट्रीय भाषा का जो आज अपने ही राष्ट्र में अपने ही खोते हुए अस्तित्व को बचने की ज़ंग लड़ रहा है ??
कोई भी आज हिन्दी का प्रयोग नही करना चाहता क्योंकि आजकल अंग्रजी बोलना एक फैशन सा होगया है। अगर आज हम हिन्दी बोलते है तो हमे इतना सम्मान नही मिलता जितना की एक अंग्रजी बोलने वाले लोंगो मिलता है । मै ये नही कहता की हमे अंग्रजी से नफरत है या मै अंग्रजी बोलने वाले लोंगो का विरोध करता हु क्योंकि अंग्रजी दुनिया की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है और अगर हमे आगे बढ़ना है तो हमे अंग्रजी आनी चाहिये परन्तु मै यह भी कहूँगा की हिन्दी की अनदेखी न करे । हमारे देश में कई भाषा बोली जाती है पर आज भी हमारे देश में कुछ ऐसे राज्य है जहां हिन्दी नही बोली जाती या ऐसा कन्हे की वो बोलना नही चाहते । कुछ राज्य अपने को मराठीभाषी तो कोई तमिलभाषी तो कोई कन्नड़ भाषी बोलते है । हमारे देश में कुछ ही ऐसे राज्य जैसे , उत्तर प्रदेश , बिहार , झारखण्ड , उत्तराँचल इत्यादी है जो हिन्दी बोलते है इसलिए इन्हे हिन्दीभाषी कहा जाता है । अगर हम ऐसे ही अपनी राष्ट्रीय भाषा को भूलते गए तो वो भी दिन दूर नही जब हिन्दी भी एक ऐतिहासिक लिपि ( पांडू लिपि की तरह ) बन कर रह जायेगी । ऐसे में हम हिन्दी के खोते अस्तित्व को हमलोग कैसे बचा सकते है ??
अतः अपने कुछ सुझाव देना चाहता हूँ
१ ) क्यो न हिन्दी को अंग्रजी की तरह १०+२ तक अनिवार्य विषय घोषित कर दिया जाए ??
२ ) जिस प्रकार अंग्रजी सिखाने के शिक्षा संसथान खोले जाते है क्यों न हिन्दी सिखाने केलिए भी शिक्षा संसथान
खोले जाए ??
३) हर सरकारी या गैर सरकारी कार्यालय में हिन्दी भाषा का प्रयोग अनिवार्य कर दिया जाए ।
हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और हमे हिन्दी पर गर्व है http://knol.google.com/k/anonymous/ह-न-द-क-ख-त-अस-त-त-व/2ezc3emmc7ynu/1